Meri Jeevan Sangini - 1 in Hindi Love Stories by Bhavana Sawant books and stories PDF | मेरी जीवनसंगिनी... - १

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मेरी जीवनसंगिनी... - १

चॅप्टर__१) आयशा की वापसी

करोड़पति पिता की इकलौती बेटी आयशा खुराना देखने में बेहद खूबसूरत थीं..उसकी नीली आँखें इतनी आकर्षक और मनमोहक थीं... किसी को भी लुभाने के लिए काफी थी... चौबीस की उम्र में भी वह हेरोइन की तरह दिखती थी... बहुत सारे बिजनेसमैन के बेटे उस के खुबसुरती कर दिवाने थे..लेकिन आयशा किसी पर ध्यान नहीं दे रही थी..उसे प्यार में और लडको मे फिलहाल ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी..वह भी अपने पिता की तरह एक बड़ा बिजनेसमैन बनना चाहती थी..इसलिए वह उसमें आगे बढ़ रही थी..वह उसी दिशा में आगे बढ़ रही थी..वह बहुत दयालु थी।




आयशा विदेश मामलों में अपना डिग्री कोर्स पूरा करने के बाद आज भारत आई... मुंबई एयरपोर्ट पर आते ही वह इधर-उधर देखने लगती है... क्योंकि वह इतने सालों बाद भारत वापस आई.. उसने मुंबई को सबसे ज्यादा मिस किया।इतने सालों में बहुत कुछ बदल गया था...एयरपोर्ट देखकर ये वो जान रही थी..




वह हाथ में बैग लिए चल रही है, तभी उसके कानों में एक जानी-पहचानी आवाज आती है।



"आयशूऽऽऽ"




आयशा उस आवाज को सुनती है और उस तरफ देखने लगती है..




"निक्कीऽऽऽ", आयशा ने चेहरे पर मुस्कान के साथ कहा।






ये है निकिता राजपूत..बचपन से ही आयशा की फ्रेंड..आयशा के सारे सीक्रेट ये जानती थी उसके जीवन का सफर भी इसको पता था... वे दोनों साथ ही पढ़ते थे और 10 वीं क्लास तक एक साथ स्कूल जाते थे.. लेकिन उसके बाद उनकी राह बदल गई.. आयशा के परिवार ने उन्हें बिजनेस डिग्री के लिए लंदन भेज दिया... डॉक्टर बनना था निकी को तो इसलिये वो विदेश नहीं गई क्योंकि उनकी हालत कुछ अच्छी नहीं थी.. दोस्त कम थे और बहनें ज्यादा...ऐसा था दोनों का रिश्ता..




"निकीऽऽऽ", आयशा उसके पास जाती है और उसे कसकर गले लगाती है ... निक्की भी खुशी से उसे गले लगाती है ...




"आई मिस यू आयशा", निक्की ने आंसू भरे आँखो से कहा.. आयशा उसकी आवाज सुनती है और उसे एक तरफ कर देती है...




"पागल, ऐसे मत रोओ... अब जब मैं यहाँ हूँ, तो तुम्हें खुश होना चाहिए", आयशा मुस्कुराई और उसके आँसु पोंछते हुवे बोली...




"मुझे सच में तुम्हारी याद आती थी निकी...अब मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूंगी...अब घर पर मम्मी-पापा हमारा इंतजार कर रहे होंगे... इसलिये चलो अब", आयशा ने कहा..






आज आयशा ने सफेद क्रॉप टॉप पहना हुआ था.. उस को मैचिंग ब्लैक जींस पहनी हुई थी.. गले में एक छोटा सा दुपट्टा बंधा हुआ था... उसने अपने बाल ढीले छोड़ रखे थे... इसलिए वो उड़ रहे थे और चेहरे पर आ रही थे...इस अवतार में वह आकर्षक लग रही थी...यात्रा करने के बाद उसके चेहरे पर थकान महसूस नहीं हुई...वह बहुत तरोताजा महसूस कर रही थी।



"आज सबकी निगाहें तुझे देख रही होंगी... इधर-उधर देखिए, वो कुछ लोग तो अभी से देख रहे हैं।"निकी ने पलके झपकाते कहा.. आयशा ने उसे एक हाथ से धीरे से थप्पड़ मारा...




"तुम कुछ भी कहो... तुम कभी नहीं सुधरोगी...", आयशाने धीरे से कहां..



"जो सच है वो सच है.. अब जब आप अपने पिता के व्यवसाय में हैं, तो आपके घर के सामने लडकों की कतार होगी..", निकी ने आयशा का बैग पकड़ते हुए चलते हुए कहा। इसपर आयशा शांत हो गई।



"सॉरी... मैंने बहुत ज्यादा बात की..चलो आपकी कार आ गयी मैडम.."निकी ने एक कार को बाहर आते देखा और कहा... बड़ी महंगी काली कार थी... ड्राइवर ने उतरकर कार का पिछला दरवाजा खोला...






"बैठो मैडम...", ड्राइवर ने आदर से कहा..






"निकी बैठो तुम पहले...", आयशा बोली..तो निकी अंदर जाकर बैठ जाती है..तब तक ड्राइवर आयशा का सामान कार में रखता है..आयशा कार में बैठ जाती है..ड्राइवर आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है ..वो गाड़ी स्टार्ट करता है और दोनों को वहाँ से ले जाने लगता है..




निकी और आयशा इतने सालों बाद मिले कार में बातें कर रहे थे..दोनों बातें कर रहे थे की तभी निक्की के फोन की घंटी बजती है..वह ऐसे ही फोन को देखती रहेती है..पल भर में उसका चेहरा कुछ बदल सा जाता है.. आयशा की निगाहें निक्की के चेहरे पर ही टिकी होती हैं... उसने उसका बदला हुआ चेहरा देखा और वह उसके पास झुक कर उसके मोबाइल पर नाम चमकता हुआ देखती हैं ...




"राजीव", आयशा नाम देखती है और बोलती है..




"क्या तुमसे कुछ छुपा है? मैं अब भी नहीं छिपाऊँगी... राजीव मेरा बॉयफ्रेंड है..वह एक हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर है..", निकी ने अपना मोबाइल काटते हुए कहा..




"क्या बॉयफ्रेंड?", आयशा ने सदमे में कहा...




"हाँ.. क्या मैंने कुछ गलत कहा?", निकी ने उसकी ओर देखते हुए कहा..




"तुमने कुछ गलत नहीं कहा... मैं थोड़ा चौंक गयी..तुम बहुत दूर चले गए यार... तुम मुझे कब मिल्वाने ले जा रहे हो?", आयशा ने होश में आते हुए कहा..उसे उम्मीद नहीं थी यह सब की ..



"मिलोगी तुम एक दीन उनसे... वो इस समय व्यस्त हैं... मैं इस समय उनसे नाराज़ हूं इसलिए मैं फोन नहीं उठा रही हूं...", निकी ने अपना मोबाइल देखते हुए कहा...एक बार फिर राजीव का फोन आ रहा था...




"अरे, तुम्हें क्या हुआ ?? तुम नाराज क्यों हो?", आयशा पूछती है क्योंकि वह कुछ नहीं जानती थी ...




"वो मुझे समय नहीं देते... इसलिए मैं उनसे नाराज़ हूँ..मैं भी एक डॉक्टर हूँ... लेकिन मैं अपना समय निकालती हूँ..लेकिन वो नहीं निकालते है... आज वो मुझे घूमने ले गया, तभी मैं उससे बात करूंगी..नहीं तो नहीं !!"निकी ने गुस्से मे कहा..वह बोल रही थी तभी, आयशा ने जानबूझ कर उसका बजता हुआ मोबाइल उठाया.. इसलिए राजीव ने उसकी वह बात सुनी.. वह सब सुनकर हंसता है..




"आज मैं तुम्हें ले चलूँगा..फिर तो नाराज़ नहीं होंगे ना तुम?? अब नाराज़ मत हो.. शाम को तैयार रहो..मैं तुम्हें लेने आऊंगा", राजीव ने कॉल पर मुस्कुराते हुए कहा, स्पीकर पर होने के कारण आयशा हंसती है जब वह उसकी बात सुनती है..लेकिन निकी वो बात सुनकर शर्मिंदा होती है...




"जीजू, चिंता मत करो.. शाम को निक्की तुम्हारे लिए तैयार हो जाएगी...", आयशा ने होठों को दबाते हुए मुस्कुराते हुए कहा..वो बस इतना कहकर फोन काट देती है...



"क्या तुम पागल हो?? क्या उन्होंने अब सब कुछ नहीं सुना ना ?? तुम्हारी वजह से मैं उनसे नाराज भी नहीं हुईं ... मुझे अभी जाना है ... अन्यथा वो मुझे फिर से नहीं मिलेंगे ...", इतना कहकर निकी चारों ओर देख रही थी..वह भ्रमित थी और आयशा उसे देखकर हंसती है ...






"रुको, अपने घर का पता बताओ, मैं तुम्हें वहीं छोड़ कर आगे बढ़ जाऊंगी...", आयशा ने उसकी ओर देखते हुए कहा...



"सॉरी यार... मुझे ऐसे ही जाना है...", निकी ने नाराज होकर कहा..



"ठीक है..तुम कल मुझसे मिलने आओ... अब हम मिलते रहेंगे..", आयशा ने उसके चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहा...निकी उसे गले लगाती है और अपना पता बताती है।आयशा ड्राइवर को पता बताती है, निक्की को उस जगह छोड़ देती है, उसे विदाई देती है और अपने घर के लिए निकल जाती है।




To Be Continue....

©®Bhavana🥰♥️

कहाणी का ये एपिसोड पसंद आया तो समीक्षा मे बताओ..मेरी फर्स्ट हिंदी स्टोरी है...🙈अगर कुछ मिस्टेक है तो संभालो....थँक्यू.....